इंदिरा सागर परियोजना एक बहुउद्देशीय परियोजना है, जो मध्य प्रदेश के खण्डवा जिले में पुनासा गांव से 10 किलोमीटर दूर नर्मदा नदी के दाएं तट पर स्थित है। इस परियोजना की आधारशिला भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्रीमति इंदिरा गांधी द्वारा दिनांक 23.10.1984 को रखी गई। परियोजना की संस्थापित विद्युत क्षमता 1000 मेगावाट (8X125) है तथा इसे 2698.00 मिलियन यूनिट का वार्षिक विद्युत उत्पादन किए जाने हेतु डिजाइन किया गया है । सीसीईए स्वीकृति के अनुसार इस परियोजना की लागत रूपये 4355.57 करोड़ है (सितम्बर 2000 के मूल्य स्तर पर)। इंदिरा सागर पावर स्टेशन की इकाईयों के समय से पहले संचालित होने से परियोजना की लागत में काफी बचत हुई है। इंदिरा सागर बांध की लम्बाई 653 मीटर तथा आधार से अधिकतम ऊॅचाई 92 मीटर है। बांध में कुल 14.00 लाख घनमीटर की कंक्रीटिंग की गई है। बांध में 20 मीटर चौड़ाई के 12 मुख्य स्पिलवे ब्लाक और 8 वैकल्पिक स्पिलवे ब्लाक हैं। जल नियंत्रण के लिए 20 मीटर चौड़े एवं 17 मीटर ऊंचे आकार के 20 रेडियल गेट लगाये गए हैं। विद्युत गृह नदी के दाएं किनारे पर स्थित है, जिसमें मशीन हाल (202 मीटर लंबा, 23 मीटर चैड़ा, 53 मीटर ऊंचा), सर्विस बे (42 मीटर लंबा, 23 मीटर चौड़ा, 24 मीटर ऊंचा) तथा ट्रांसफार्मर यार्ड (202 मीटर लंबा और 20 मीटर चौड़ा) शामिल है। विद्युत गृह में 125 मेगावाट के 8 फ्रांसिस टरबाईन स्थापित किए गए हैं। हेड रेस चैनल 530 मीटर लंबी, 75 मीटर चौड़ी तथा 50 मीटर गहरी है, जिसकी कुल जल बहाव क्षमता 2200 घन मीटर प्रति सेकण्ड है। इन्टेक स्ट्रक्चर से जल 8 मीटर व्यास तथा 157 मीटर लंबी पैनस्टोक से टरबाईन में प्रवेश करता है। प्रत्येक पैनस्टोक की अधिकतम जल बहाव क्षमता 275 घन मीटर प्रति सेकण्ड है। विद्युत उत्पादन के बाद पानी को 850 मीटर लंबी टेल रेस चैनल द्वारा पुनः नर्मदा नदी में प्रवाहित किया जाता है।