ओंकारेश्वर परियोजना एक बहुउद्देशीय परियोजना है, जो विद्युत उत्पादन के साथ मध्य प्रदेश के खण्डवा, खरगोन और धार जिलों में नर्मदा नदी के दोनों तटों पर सिंचाई सुविधा उपलब्ध करेगी। यह इन्दौर से 80 किलोमीटर की दूरी पर है और इंदिरा सागर परियोजना से 40 किलोमीटर डाउन स्ट्रीम में स्थित है। सीसीइए की स्वीकृति अनुसार इस परियोजना की लागत 2224.73 करोड़ रूपये (नवम्बर 2002 के मूल्य स्तर पर) है। ओंकारेश्वर परियोजना को सीसीईए द्वारा दिनांक 29.03.2003 को स्वीकृति दी गई। इस परियोजना की आधारशिला भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी द्वारा दिनांक 30.08.2003 को रखी गई। इस परियोजना की समस्त आठों इकाईयों से नवम्बर 2007 से विद्युत उत्पादन आरंभ कर दिया गया है। ओंकारेश्वर परियोजना की इकाइयों के समय से पहले संचालित होने से परियोजना की लागत में काफी बचत हुई है। इस परियोजना की संस्थापित विद्युत क्षमता 520 मेगावाट (8X65) है तथा इसे 1167 मिलियन यूनिट का वार्षिक विद्युत उत्पादन किए जाने हेतु डिजाइन किया गया है । बांध स्थल पर जलग्रहण क्षेत्र का कुल क्षेत्रफल 64880 वर्ग किलोमीटर है जिसमें से 3238 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल इंदिरा सागर पावर स्टेशन के डाउन स्ट्रीम में है। इस परियोजना के तहत् 949 मीटर लंबे कंक्रीट ग्रेविटी बांध का निर्माण किया गया है जिसकी आधार तल से अधिकतम ऊंचाई 53 मीटर है। 83534 घनमीटर प्रति सेकंड के संभावित अधिकतम बाढ़ के लिए 570 मीटर लंबा ओगी-टाईप स्पिलवे (क्रेस्ट स्तर 179.6) मीटर का निर्माण किया गया है। जल नियंत्रण के लिए 20 मीटर चौड़े एवं 18 मीटर ऊंचे आकार के 23 रेडियल गेट लगाए गए हैं। 208 मीटर लंबे और 49 मीटर अधिकतम ऊंचाई वाले पावर बांध में 8 पैनस्टोक को स्थापित किया गया है। बांध में 173.5 मीटर ऊंचाई पर 3.5 मीटर X 4.5 मीटर के 10 स्लुइस गेट जल प्रवाह व्यपवर्तन हेतु लगाए गए थे, जिन्हें अब बंद कर दिया गया है। 65 मेगावाट की 8 फ्रांसिस प्रकार की टरबाईनों के साथ नदी के दाएं किनारे पर विद्युत गृह (202 मीटर लंबा, 23 मीटर चौड़ा, 53 मीटर ऊंचा) बनाया गया है। दाये किनारे पर 7.66 मीटर व्यास के 8 पैनस्टोकों द्वारा टरबाइनों तक जल ले जाया जाता है। विद्युत उत्पादन के बाद विद्युत गृह से पानी 145 मीटर लंबी टेल रेस चैनल द्वारा पुनः नदी में प्रवाहित किया जाता है।